ई कॉमर्स क्या है ? इसके लाभ और हानि

अगर हम पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों को देखे ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले Customers की संख्या मे काफी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, इससे हम इस बात का अंदाजा लगा सकते है की वर्तमान समय मे ई कॉमर्स की प्रमुखता बहुत अधिक है ऐसे मे हमे ई कॉमर्स क्या है? और इसके लाभ और हानि को जानना और समझना चाहिए।

पुराने समय मे ई कॉमर्स की इतनी अधिक अहमियत नहीं थी क्योंकि उस समय लोग ऑनलाइन शॉपिंग जैसी चीजों पर विश्वास नहीं करते थे, इसका कारण यह था की उस समय इंटरनेट इतना ज्यादा विकसित नहीं हुआ था, लेकिन समय के साथ जैसे जैसे इंटरनेट, टेक्नोलॉजी हर किसी तक पहुंचता गया उसी तरह धीरे धीरे लोगों मे ई कॉमर्स को लेकर विश्वसनीयता बढ़ती गई।

आज के समय मे देखे तो लाखों लोग ई कॉमर्स वेबसाइट मे जाकर रोजाना ऑनलाइन शॉपिंग करते है और सभी तरह के व्यवसायी जिनके बड़े बड़े व्यवसाय है वह भी अब अपने व्यवसाय के लिए ई कॉमर्स वेबसाइट बनाकर अपने दुकान को ऑनलाइन ले जा रहे है ऐसे मे हमारे लिए ई कॉमर्स क्या होता है, यह जानना जरूरी हो गया है।

तो चलिए अब हम ई कॉमर्स से संबंधित समस्त जानकारी जैसे ई कॉमर्स क्या है, ई कॉमर्स का इतिहास, ई-कॉमर्स के प्रकार, ई-कॉमर्स के लाभ और हानि इत्यादि को जानने की शुरुआत करते है।

ई कॉमर्स क्या है – What is E commerce in Hindi

ई कॉमर्स का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स होता है, किसी भी तरह के सामान, वस्तु, सर्विस को इंटरनेट के माध्यम से खरीदना या फिर बेचना ही ई कॉमर्स कहलाता है। आज के समय मे ई कॉमर्स के कई सारे उदाहरण मौजूद है जैसे Amazon, Flipkart, OLX इत्यादि। यह सब एक ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म है जिन पर ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से सामान, वस्तु, इत्यादि बेची व खरीदी जाती है।

एक प्रकार से इंटरनेट के माध्यम से व्यापार करने को भी हम ई कॉमर्स कह सकते है। कॉमर्स का अर्थ किसी भी प्रकार के उत्पाद, माल का विनिमय करना होता है और जब हम इंटरनेट के माध्यम से कॉमर्स करते है तब हम उसे ई कॉमर्स कहते है। अगर अब हम ई कॉमर्स के अर्थ को समझने की कोशिश करे तो इलेक्ट्रॉनिक रूप से वस्तुओ, सेवाओ का आदान प्रदान यानी क्रय विक्रय करने को ही हम ई कॉमर्स कह सकते है।

ई कॉमर्स एक ऐसा जरिया जिसके माध्यम से हम अपने उत्पाद और सेवाओ को कभी भी और कही भी इंटरनेट के उपयोग से बेच और खरीद सकते है। अगर ऑफलाइन दुकानों से समान या कोई भी सर्विस खरीदते है तो इसमे हमे दुकान तक जाने की आवश्यकता पड़ती है लेकिन ई कॉमर्स मे हम इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे सामान को खरीद सकते है।

इसमे हम जिस Product को खरीदने वाले है उस Products को हम खरीदने से पहले उसे Physically नहीं देख सकते है इसमे हम इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन Products के Graphics को देखते है और Reviews, Images के आधार पर हम किसी भी तरह के Product को खरीदने का निर्णय लेते है मतलब हम ऑफलाइन दुकानों की तरह Product को Physically नहीं देख सकते है।

ई कॉमर्स का इतिहास (History)

1960 से 1970 मे EDI यानी Electronic Data Interchange के माध्यम से व्यापार अपने Data का Interchange किया करते थे तब से एक छोटे स्तर पर ई कॉमर्स की शुरुआत हुई, जिसके बाद 1980 से Credit cards, ATM card आने लगे और इलेक्ट्रॉनिक के माध्यम से हवाई जहाज के टिकट बुक करने की प्रक्रिया शुरू हुई।

जिसके बाद 1989 से 1990 मे WWW यानी World Wide web की शुरुआत हुई, जिसके बाद 1994 मे Amazon की शुरुआत हुई जो की ई कॉमर्स का अब तक का सबसे बड़ा प्लेटफ़ॉर्म माना जाता है जिसके बाद 1995 मे E bay की शुरुआत हुई, इनके आ जाने से ई कॉमर्स अब एक बड़े स्तर पर पहुँचने लगा और आज के समय मे Amazon एक सबसे बड़ा ई कॉमर्स वेबसाइट बन चुका है।

ई कॉमर्स कितने प्रकार के होते है ?

अगर हम देखे तो ई कॉमर्स कई प्रकार के होते है, अलग अलग व्यवसायो के अनुसार अलग अलग प्रकार होते। ई कॉमर्स मुखतः चार प्रकार के होते है जो की नीचे दिए गए है –

1. Business To Consumer.

जब एक Business के द्वारा किसी भी तरह के Product या Service को ऑनलाइन के माध्यम से Direct Consumer को बेचा जाता है तब हम इसे Business To Consumer यानी B2C ई कॉमर्स कहते है, इसमे Brand द्वारा Product या Service को ऑनलाइन सीधे Consumer तक पहुंचाया जाता है।

उदाहरण : जैसे किसी भी ऑनलाइन स्टोर के जरिए कपड़े, मोबाइल, लैपटॉप इत्यादि को खरीदना।

2. Business To Business.

जब किसी भी प्रकार का सामान या सर्विस को ऑनलाइन के माध्यम से एक व्यापारी से दूसरे व्यापारी को बेचा जाता है तो इसे ही Business To Business यानी B2B ई कॉमर्स कहा जाता है, इसमे एक Brand अपने Product या Service को ऑनलाइन दूसरे Brand को बेचती है।

उदाहरण : जैसे Photos और Images वाली Brands अपने Images को ऑनलाइन अपने वेबसाइट के जरिए ऐसी Brands को बेचती है जिन्हे उस Images को Commercial तौर पर जरूरत होती है।

3. Consumer to Consumer.

जब किसी Consumer द्वारा ऑनलाइन के माध्यम से अपने Product को किसी अन्य Consumer को बेचा जाता है तब इस तरह के क्रय विक्रय को Consumer to Consumer यानी C2C ई कॉमर्स कहते है।

उदाहरण : जैसे की कोई व्यक्ति अपने पुराने सामान, Property को इंटरनेट का उपयोग करके किसी दूसरे व्यक्ति को बेचता है।

4. Consumer to Business.

जब एक उपभोक्ता (Consumer) अपने किसी भी Product या Service को ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से एक व्यापार को बेचता है तो इस तरह के लेनदेन को Consumer to Business यानी C2B ई कॉमर्स कहा जाता है।

उदाहरण : जैसे एक Video Editor अपने द्वारा Record किए गए Videos को Video, Photos Stocks वाले Brands को उसकी वेबसाइट के माध्यम से बेचता है और बाद मे जब Video Editor को किसी खास Footage की जरूरत होती है तब वह Video, Photos Stocks वाले वेबसाइट से Footage खरीदता है।

ये भी जानिए : इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है ?

ई कॉमर्स के फायदे (Advantages of E commerce)

ई कॉमर्स पूरी तरह इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक पर आधारित है जिसकी वजह से इसके कई सारे फायदे है जो की निम्नलिखित है –

  1. ई कॉमर्स के माध्यम से हम अपने Product या Service सिर्फ Specific Area मे ही बल्कि हर एक क्षेत्र मे बेच सकते है।
  2. ई कॉमर्स मे ग्राहक किसी Specific Area के नहीं होते बल्कि हर एक क्षेत्र के लोग ग्राहक होते है, जिनको हम अपना सामान बेच सकते है।
  3. ई कॉमर्स मे हम किसी भी सामान को 24×7 किसी भी समय खरीद सकते है।
  4. ई कॉमर्स मे हम किसी Product को खरीदने से पहले उस Product को खरीदने वाले अन्य लोगों के Reviews और Comments को देख सकते है जिससे हमे Product के Quality के बारे मए पता चल पाता है।
  5. ई कॉमर्स मे हम अपने जरूरत के सामान को घर बैठे खरीद सकते है हमे कहीं पर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

ई कॉमर्स के नुकसान (Disadvantages of E commerce)

ई कॉमर्स जिस तरह बहुत सारे फायदे है उसी तरह इसके कुछ नुकसान भी है जो की नीचे दिए गए है –

  1. ई कॉमर्स के माध्यम से कुछ भी खरीदते वक्त हमें अपनी सुरक्षा और साइबर सुरक्षा का बहुत ही ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि ऑनलाइन Frauds, Hacking जैसे illegal Activity’s अक्सर होते रहते है।
  2. ई कॉमर्स की मदद से कुह भी खरीदने के लिए मोबाइल, इंटरनेट की जानकारी होना जरूरी है।
  3. ई कॉमर्स की मदद से हम जब कोई सामान खरीदते है तो उसे हमारे पास पहुँचने मे 1 से 2 दिन तक लग जाते है और अगर Deliver Location कोई गाँव है तो एक सप्ताह भी लग सकते है।
  4. नए ई कॉमर्स वेबसाइट पर आसानी से भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह एक प्रकार का Fraud भी हो सकता है।
  5. ई कॉमर्स वेबसाइट से कुछ भी खरीदने के लिए हमें एक High Speed इंटरनेट की आवश्यकता पड़ती है अगर हमारे पास इंटरनेट नहीं है तो हम ई कॉमर्स वेबसाइट से कुछ भी खरीद सकते है।

ई कॉमर्स के उदाहरण (Examples)

ई कॉमर्स अलग अलग तरीकों से किया जा सकता है और किया जा भी रहा है नीचे उदाहरण के तौर पर ई कॉमर्स के विभिन्न रूपों के बारे मे मैंने बतलाया है –

1. Retail

Retail को अक्सर खुदरा व्यापार कहा जाता है यहाँ पर कोई भी बिचौलिया नहीं होता है बल्कि ग्राहक का सीधा संपर्क रिटेलर से होता है जैसे आप किसी किराने स्टोर मे जाकर कोई सामान खरीदते है कुछ उसी तरह का यह भी बिजनेस मॉडल होता है।

2. Wholesale

Wholesale से थोक व्यापार भी कहा जाता है यहाँ पर वस्तुओ को अलग अलग समूहों मे बेचा जाता है यहाँ पर रिटेलर ही एक तरह से ग्राहक होते है क्योंकि यहाँ पर मुख्य व्यापारी और ऊपभोक्ता के बीच कोई संबंध नहीं रहता है।

3. Dropshipping

Dropshipping ई कॉमर्स का एक काफी अच्छा उदाहरण है यहाँ पर बेचने वाले का संपर्क सिर्फ और सिर्फ ग्राहक से होता है जिस उत्पाद को विक्रेता बेचता है उसका निर्माता कोई और होता है और उस उत्पाद को ग्राहक तक डिलीवर करने वाला भी कोई और होता है अर्थात विक्रेता उत्पाद का निर्माण खुद से नहीं करता है बल्कि वह किसी दूसरे निर्माता के उत्पाद को बेचता है।

4. Crowdfunding

उत्पाद को बाजार मे लाए बिना ही अर्थात उत्पाद मार्केट मे आने से पहले ही उसके बदले ग्राहकों से पैसे ले लेना ही जन सहयोग अर्थात Crowdfunding कहलाता है यह शुरुआती व्यवसायों जो अच्छी शुरुआत करना चाहते है उनके लिए पैसा जुटाने का एक अच्छा तरीका है।

5. Subscription

किसी भी तरह के उत्पाद या कोई सेवा का एक निश्चित समय के बाद दोबारा खरीदी ही Subscription कहलाता है यहाँ पर ग्राहक को उसके Subscription के हिसाब से निश्चित समय तक सेवा या उत्पाद का Access प्रदान किया जाता है फिर Subscription का समय खत्म होने के बाद Access भी खत्म हो जाता है दोबारा Access प्राप्त करने के लिए फिर से Subscription लेना पड़ता है यह ज्यादातर SAAS (Software As a Service) वाले व्यवसायों मे किया जाता है।

6. Physical Product

किसी भी तरह का कोई Physical अर्थात भौतिक उत्पाद जिसका की भौतिक रूप से कोई अस्तित्व मौजूद है उसे बेचना इसमे शामिल होता है यहाँ पर ग्राहक से पहले सामान का ऑर्डर लिया जाता है उसके बाद उसे एक निश्चित समय के दौरान ग्राहक तक डिलीवर कर दिया जाता है।

7. Digital Products

विभिन्न तरह के डिजिटल उत्पाद जिसका की भौतिक रूप से कोई अस्तित्व ही नहीं होता है जैसे डाउनलोड किया जाने वाला सॉफ्टवेयर, ई बुक, टेम्पलेट, कोर्स, ग्राफिक, फोटो आदि को उपयोग करने हेतु खरीदना या फिर उसकया लाइसेंस खरीदना इस तरह के व्यवसाय मे शामिल होता है।

8. Services

कई पेशेवर अपने Skill के बदले ग्राहक से शुल्क लेता है और ग्राहक उसके जरिए अपना कार्य पूर्ण करवाता है यहाँ पर सेवाये के बदले शुल्क लिया जाता है जितना अधिक पेशेवर उतना ही अधिक शुल्क, आजकल इसी तरह के ई कॉमर्स भी काफी जोरो शोरों से किए जा रहे है।

निष्कर्ष

वैसे अगर हम देखे तो ई कॉमर्स धीरे धीरे और आगे बढ़ता जा रहा है आने वाले समय मे हमे इसके और कई सारे बड़े बड़े रूप देखने को मिलने वाले है इसीलिए हमें इसके बारे मे हमेशा कुछ नया सीखते रहने की आवश्यकता पड़ेगी। अब हमने आपके साथ ई कॉमर्स से संबंधित समस्त जानकारी को साझा कर दिया है जिसको पढ़कर आप सभी ने ई कॉमर्स क्या है (What is E Commerce in Hindi) इस विषय मे जानकारी प्राप्त कर ली होगी।

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