आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स, मशीन लर्निंग इन सब का नाम तो आपने पहले ही सुन रखा होगा जो की एक तरह की तकनिक है जिसके माध्यम से हम मशीनों को भी इंसानों की तरह का कार्य करवा सकते है और वे कार्य इंसानो की तुलना मे जल्दी कर के दे सकते है क्योंकि वे एक मशीन है। आज का यह आर्टिकल डीप लर्निंग क्या है? यह भी इन्ही विषयों से जुड़ा हुआ है तो अगर आप भी इन सब चीजों के बारे मे रुचि रखते है तो अंत तक बने रहे।
आप सभी को बता दे की डीप लर्निंग एक नई तकनिक है जो की आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स, मशीन लर्निंग इन्ही के अंतर्गत आती है, जिस तकनिक का इस्तेमाल आज के समय मे एक से बढ़कर एक कंपनी अपने उत्पादों मे कर रही है। आप सभी Amazon कंपनी के द्वारा विकसित किया गया Alexa के बारे मे तो जानते ही होंगे इसमे Deep Learning का ही उपयोग किया गया है।
आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स काफी लोकप्रिय है इसके जरिए मशीनों को इस तरह से विकसित किया जा सकता है जिससे की वे इंसान की तरह दिमाग लगाकर कार्य कर सके अब आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स के अंतर्गत मशीन लर्निंग भी आता है इस तकनिक के जरिए मशीन भी खुद के अनुभव से सिख सकते है और उसके अनुसार पर कार्य कर सकते है।
डीप लर्निंग भी कुछ ऐसा ही है जो की मशीनों को इंसानों की तरह सोचकर कार्य करने मे सक्षम बना सकता है, आजकल इस तकनिक की मदद से मशीनों को काफी अधिक Advance बनाया जा सकता है, तो फिर चलिए बिना किसी तरह की देर किए हुए डीप लर्निंग क्या होता है, मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग मे अंतर एवं इससे जुड़े समस्त जानकारी को जानना शुरू करते है।
डीप लर्निंग क्या है – What is Deep Learning in Hindi
मशीन लर्निंग जो की आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स का ही एक Subset यानि शाखा है उसी तरह डीप लर्निंग भी मशीन लर्निंग का ही एक Subset है जो की Artificial Neural Network पर आधारित है यह एक तरह की ऐसी तकनिक है जो की इंसानों के ज्ञान हासिल करने के कुछ तरीकों की नकल करता है एवं इंसानो के दिमाग की तरह कार्य करने की कोशिश करता है।
सरल शब्दों मे कहे तो आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स के क्षेत्र मे डीप लर्निंग एक ऐसी Technique है जो की कंप्युटर को इंसानी दिमाग की तरह ही डेटा को प्रोसेस करना सिखाता है, डीप लर्निंग मॉडल सटीक परिणाम पाने के लिए या भविष्यवाणी करने के लिए अलग अलग तरह के डेटा जैसे Text, Audio, Images को खुद से पहचान सकता है जिसके आधार पर ही आगे वह कार्य करता है।
डीप लर्निंग को समझने के लिए हमें आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स और मशीन लर्निंग को स्टेप बाय स्टेप समझना होगा क्योंकि यह इसी का एक हिस्सा है, आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स एक तरह की तकनिक है जिससे मशीनों को इंसानों की तरह ही सोच समझकर ही कार्य करने की क्षमता प्रदान की जाती है लेकीन इसके लिए AI मॉडल को तैयार करते वक्त उसे प्रोग्राम करना पड़ता था तभी वह इंसानों की भांति कार्य करने मे सक्षम हो पाता था।
अब दिक्कत यह थी की इस तरह के मॉडल को प्रोग्राम करने मे काफी अधिक मेहनत और समय दोनों लगता था इसी कार्य को मशीन लर्निंग ने आसान कर दिया जिसमे मॉडल को Proper प्रोग्राम करने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी बल्कि उसे अब सिर्फ सही यानि Structured डेटा के आधार पर प्रशिक्षित किया जा सकता था जिससे वह सही आउट्पुट दे पाता था।
लेकीन जैसे जैसे समय बदला और डेटा की संख्या मे बढ़ोतरी हुई उसी तरह मशीन लर्निंग मे यह परेशानी हुई की वह Structured Data के आधार पर ही आउट्पुट दे सकता था अब ऐसे बड़े बड़े डेटा मे से सही डेटा ढूँढना और उससे मशीन लर्निंग को प्रशिक्षित करना कठिन कार्य था जिसके बाद आया डीप लर्निंग।
जो की किसी भी तरह के बड़े से बड़े Structured या Unstructured डेटा को प्रोसेस करके आउट्पुट प्रदान कर सकता है इसके मॉडल को पहले से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है बल्कि यह डेटा को प्रोसेस करके सिख सकता है एवं यह इंसानो की भांति खुद के गलतियों या अनुभव से भी सीखता है।
डीप लर्निंग कैसे काम करता है?
हमारा दिमाग Neurons की मदद से कार्य करता है जो की डेटा को प्रोसेस करते है उसी तरह डीप लर्निंग मे भी आर्टफिशियल Neurons तैयार किए जाते है जिसकी सहायता से डीप लर्निंग काम करता है इन आर्टफिशियल Neurons को Artificial Neural Network कहा जाता है जो की डेटा को प्रोसेस करता है। मशीन लर्निंग का मॉडल अगर किसी चीज को गलत Predict करता है तब Programmer को खुद से उसे Reprogram करना पड़ता है।
लेकीन वहीं पर डीप लर्निंग किसी चीज को गलत Predict करता है तब वह खुद से सिख जाता है उसे Reprogram की आवश्यकता नहीं पड़ती है इसे इस तरह समझते है जहां पर सिर्फ मशीन लर्निंग मॉडल मे किसी चीज के Features को Manually बताने की आवश्यकता पड़ती है तब जाकर वह सीखता है वहीं पर डीप लर्निंग के साथ ऐसा नहीं होता है बल्कि वह डेटा के माध्यम से ही Features को निकाल सकता है और खुद से ही सिख सकता है।
डीप लर्निंग के कुछ अनुप्रयोग (Applications)
वर्त्तमान समय मे डीप लर्निंग का उपयोग अनेकों क्षेत्रों मे किया जाता है जिसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित है :-
1. Self driving Cars
आज के समय मे Self driving Cars आ चूके है जो की खुद से ही बिना किसी Human Driver के अपने आप कार को Drive करने की क्षमता रखते है जिसमे आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स का योगदान होता है ये कार रास्ते मे आ रहे Objects को खुद से ही Detect कर लेते है और उसी के अनुसार आगे कार को Drive करते है।
2. Language Translators
गूगल ट्रांसलेटर काफी अच्छा और सबसे लोकप्रिय Language Translators है जो की डीप लर्निंग और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग का काफी अच्छा उदाहरण है यह इंसानों की भाषा को अलग अलग साधन जैसे Text, Audio, Image की मदद से समझकर उसे किसी दूसरे भाषा मे सटीकता से बदल देता है।
3. Virtual Assistant
आजकल तरह तरह के वर्चुअल असिस्टेंट मौजूद है जैसे गूगल असिस्टेंट, एलेक्सा इत्यादि जो की इंसानों के भाषाओ को समझकर उसके अनुसार आगे Task Perform करते है जैसे अगर आप इनको कहते है की सीमा को कॉल करो, तो ये आपके फोन मे से सीमा नंबर के व्यक्ति को कॉल कर देंगे। इसमे भी डीप लर्निंग का काफी सही तरीके से उपयोग किया गया।
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग मे क्या अंतर है?
डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग दोनों ही आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स मे ही आता है लेकीन इन दोनों के बीच अंतर भी है जैसे :-
Deep Learning | Machine Learning |
यह मशीन लर्निंग का ही एक Subset है। | यह आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स का ही एक Subset है। |
डीप लर्निंग को Train करने के लिए काफी उच्च स्तर के GPU (Graphic Processing Unit) की जरूरत पड़ती है। | मशीन लर्निंग को CPU (Central Processing Unit) के जरिए Training दिया जा सकता है। |
यह पूर्व मे किए गलतियों से और पर्यावरण के माध्यम से सीखता है इसमे मानवीय हस्तक्षेप नहीं पड़ती है। | इसमे सुधार करने और सिखाने के लिए मानवीय हस्तक्षेप की जरूरट पड़ती है। |
यह मशीन लर्निंग का ही एक विकसित रूप है। | यह आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स का एक विकसित रूप है। |
इसे किसी भी चीज के Features को मनुष्य द्वारा नहीं बताना पड़ता है बल्कि यह खुद से ही जरूर Features का पता लगा लेता है। | इसे किसी भी चीज के Features मनुष्य द्वारा बताना पड़ता है तब वक कार्य कर पाता है। |
डीप लर्निंग के फायदे (Advantages)
डीप लर्निंग तकनीकी दुनिया की काफी अच्छी तकनिक है जिसके वाकई मे अनेक फायदे है जैसे :-
- डीप लर्निंग Algorithm की यह खासियत है की यह डेटा के माध्यम से ही किसी Features का पता लगा सकता है।
- डीप लर्निंग Algorithm Unstructured और Structured दोनों तरह के डेटा को Handle करने की क्षमता रखता है।
- डीप लर्निंग Algorithm पूर्व मे किए हुए गलतियों से सिखने और खुद को सुधारने की Ability होती है।
- यह बड़े बड़े Datasets या Bigdata को को संभालने की क्षमता रखता है।
- डीप लर्निंग डेटा के आधार पर Future को Predict करने की क्षमता रखता है।
डीप लर्निंग के नुकसान (Disadvantages)
डीप लर्निंग के फायदे तो है ही लेकीन इसके नुकसान भी है जैसे :-
- डीप लर्निंग आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स को और अधिक Advance बनाता है जिससे बेरोजगारी को बढ़ावा मिल रहा है।
- डीप लर्निंग मॉडल तैयार करने के लिए उच्च स्तर के GPU एवं कम्प्यूटिंग पावर की आवश्यकता पड़ती है।
- इसे विकसित करने मे काफी अधिक Cost लगता है।
- डीप लर्निंग मॉडल को अच्छे से तैयार करने के लिए अच्छे से Train करना पड़ता है जिसके लिए काफी सारे डेटा की जरूरत पड़ती है एवं जिसमे कई सारा समय लगता है।
दरअसल डीप लर्निंग का कोई सटीक परिभाषा नहीं है ऐसे मे हम डीप लर्निंग को हम एक तरीका समझ सकते है जिससे की आर्टफिशियल इंटेलीजेन्स को प्राप्त किया जा सकता है।
निष्कर्ष
डीप लर्निंग जैसी नई नई रोबोटिक तकनिके वाकई मे हमारे जीवन को बेहतर बनाने की ओर प्रेरित कर रही है इससे हमारा जीवन तकनीकी क्षेत्र मे और अधिक Advance हो रहा है जो की वाकई काफी अच्छी बात है लेकीन इससे इंसानों की अहमियत भी कम हो रही है और बेरोजगारी को बढ़ावा भी मिल रहा हैं उम्मीद है की आज का यह आर्टिकल डीप लर्निंग क्या है (What is Deep Learning in Hindi) इस बारे मे जानकारी प्राप्त करने मे आपका काफी मदद किया होगा।
इस आर्टिकल की मदद से आपने काफी कुछ जाना और सीखा होगा, अब अंत मे अगर आप सभी के मन मे कोई सवाल रह गया है तो उसे नीचे Comment मे बेझिझक लिख कर पूछ सकते है और इस आर्टिकल को जरूर ही Facebook, Twitter जैसे सोशल नेटवर्क पर शेयर कीजिए जिससे और भी लोग जान और सिख सके।