डिजिटल अरेस्ट क्या है, इससे कैसे बचे – What is Digital Arrest in Hindi

इन दिनों डिजिटल अरेस्ट की घटनाए काफी तेजी से बढ़ती जा रही है जिसके चपेट मे काफी सारे लोग आ चुके है और आ रहे है और इसकी वजह से पीड़ित अपना काफी सारा पैसा गवां चुके है एवं इसकी वजह से पीड़ितों के मानसिक अवस्था पर भी काफी प्रभाव पड़ता है इसी वजह से सरकार अक्सर डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर क्राइम के बारे मे जागरूक करने की पूरी कोशिश कर रही है और हर एक जरिए से इससे जुड़ी जानकारी साझा कर रही है।

लेकिन इसके बावजूद ऐसे काफी सारे लोग है जिन्हे डिजिटल अरेस्ट क्या है और डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचे? इस विषय मे उन्हे कोई जानकारी नहीं है ऐसे मे वे आसानी से डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराध के शिकार हो सकते है और अपना पैसा भी गंवा सकते है तो चिंता न कीजिए डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी तमाम अहम जानकारी इस लेख मे जानेंगे।

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डिजिटल अरेस्ट क्या है – What is Digital Arrest in Hindi

डिजिटल अरेस्ट आधुनिक समय का एक नया साइबर अटैक है दरअसल डिजिटल अरेस्ट का कानून मे या कहीं पर भी इसका वर्णन नहीं मिलता है बल्कि वर्तमान समय मे साइबर अपराधी पीड़ितों के साथ डिजिटल अरेस्ट का नाम लेकर फ्रॉड कर रहे है और इसी वजह से इस तरह के साइबर अपराधों को डिजिटल अरेस्ट का नाम दिया गया है वैसे देखे तो डिजिटल अरेस्ट का शब्दार्थिक अर्थ डिजिटल रूप से या ऑनलाइन अरेस्ट करना होता है।

साइबर अपराध अक्सर पीड़ितों को कॉल, वीडियो कॉल या फिर ऑनलाइन के जरिए या बतलाते है की उनके खिलाफ पुलिस, सीबीआई, आरबीआई, इनकम टैक्स, साइबर सेल के द्वारा केस फाइल कीया गया है और उनके खिलाफ डिजिटल अरेस्ट जारी कीया गया है एवं साइबर अपराधी ऑनलाइन इस तरह का एक माहौल बनाते है जिससे पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट बिल्कुल असल लगने लगता है और वे डर जाता है और साइबर अपराधी के झांसे मे फंस जाता है।

साइबर अपराधी व्यक्ति से पैसे लेने के लिए अलग अलग तरीके से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डराते है और व्यक्ति के खिलाफ डिजिटल तरीके से कार्यवाही, पेशी इत्यादि का दावा करते है जो की फेक होता है और इसके चक्कर मे भोले भाले लोग फंस जाते है और अपनी इज्जत बचाने के लिए वे इनके साथ समझौता कर लेते है जिसके लिए वे अपना काफी सारा पैसा वे इन साइबर अपराधी को दे देते है।

हाल ही के डिजिटल अरेस्ट के कुछ मामले (Digital Arrest Cases)

हालही मे डिजिटल अरेस्ट के काफी सारे मामले साइबर सेल के द्वारा दर्ज किए गए जिसमे पीड़ितों से साइबर अपराधियों ने उनके काफी सारे पैसे डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लूट लिए जिसमे से कुछ लोकप्रिय Cases है –

1. डॉ. रुचिका टंडन :

यह घटना है उत्तर प्रदेश के लखनऊ के एक न्यूरोलॉजीस्ट डॉ. रुचिका टंडन का, जिनके साथ एक बेहद गंभीर साइबर अपराध हुआ है जिन्होंने इसमे अपना 2 से 3 करोड़ रुपये गंवा दिए। इस अपराध की शुरुआत हुई जब उन्हे कॉल आया, जिसमे उन्हे बताया गया की उन्हे अरेस्ट के Instructions मिले है और जल्द ही 5 मिनट मे उन्हे पुलिस के द्वारा अरेस्ट कर लिया जाएगा।

फिर उन्हे कहा गया की उनके खाते से मनी लॉनड्रिन्ग जैसी गैरकानूनी चीजे हुई है जिसके लिए उसी कानूनी रूप से अरेस्ट कीया जाएगा, और उन्होंने यह कहा की वे पीड़ित को डिजिटल कस्टडी मे रखने की कोशिश कर सकते है और इसी तरह से फिर धीरे धीरे एक ऐसा डिजिटल माहौल बनाया गया।

जिससे पीड़ित न चाहते हुए इस झांसे मे फंस गई और वे इस केस से बचने के लिए समझौते के तौर एक बड़ी रकम इन फेक सरकारी ऑफिसर को देने के लिए तैयार हो गई और इस तरह से वे इस डिजिटल अरेस्ट के साइबर फ्रॉड का शिकार हो गई।

2. 23 वर्षीय अनन्या

हरियाणा के फरीदाबाद से एक 23 वर्षीय युवती जिसका नाम अनन्य मंगला है इनके साथ डिजिटल अरेस्ट के नाम पर कुल 2.5 लाख की ठगी हुई है दरअसल अनन्या को एक कॉल आया जिसमे साइबर अपराधी ने कस्टम ऑफिस से होने का दावा कीया और उन्होंने यह कहा की उसके आधार कार्ड से लिंक एक अवैध पार्सल कंबोडिया जा रहा है जिसमे अवैध समान मौजूद है।

जिसके लिए उसे कोर्ट मे पेश होना पड़ेगा और उसके खिलाफ कार्यवाही होगी, फिर उन्होंने डिजिटली वीडियोकॉल के जरिए डिजिटल अरेस्ट जैसे एक माहौल बनाया गया जिसमे फेक पुलिस ऑफिसर और सीबीआई ऑफिसर पूछताछ करते थे जिसके बाद समझौते के तौर पर साइबर अपराधियों ने पीड़ित से 15 लाख रुपये की मांग की।

लेकिन पीड़ित ने देने से इंकार कर दिया लेकिन जैसे तैसे साइबर अपराधियों ने 2.5 लाख रुपये पीड़ित से ट्रांसफर करवा लिए।

3. बेंगलुरू मे 39 वर्षीय युवक से 11.8 करोड़ रुपये का डिजिटल अरेस्ट ठगी

अभी हाल ही मे डिजिटल अरेस्ट एक काफी बड़ा मामला सामने जिसके तहत बैंगलोर के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर इस मामले मे पीड़ित है उसका नाम और बाकी चीजे गोपनीय रखी गई है, जिसमे तहत युवक को एक कॉल आया जिसमे साइबर अपराधी ने खुद को TRAI का एक अधिकारी बतलाया है और पीड़ित को यह कहा की उनके नाम का सिम कार्ड का इस्तेमाल वैध विज्ञापनों और उत्पीड़न से समबंधित संदेशों के लिए कीया गया है।

इसके अलावा एक और साइबर अपराधी का कॉल आया जिसमे उन्होंने भी पीड़ित से यह कहा की उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉनड्रिन्ग जैसी गैर कानूनी कार्यो के लिए कीया गया है और साथ मे उनसे कहा गया की इसके बारे मे किसी को न बताए यहाँ तक परिवार वालों को भी, और उसके बाद अलग अलग तरीकों से युवक को डरकर उसके पैसे लूट लिए।

डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड कैसे होता है (How does digital arrest fraud happen)

तो चलिए डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड कैसे होता है इसे हम स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस मे समझते है –

Step 1. अनजान नंबर से कॉल

साइबर अपराधी पीड़ित को सबसे पहले एक अनजान नंबर से कॉल करता है जिसके बाद जब पीड़ित द्वारा कॉल प्राप्त कर लिया जाता है उसके बाद वे किसी तरह का सरकारी या law Enforcement अधिकारी होने के दावा करते है और बतलाते है की वे पुलिस या सीबीआई, आरबीआई जैसे विभाग के अधिकारी है।

Step 2. पीड़ित को डराना

अब अपनी फेक पहचान बताने के बाद साइबर अपराधी अगले स्टेप मे पहुंचता है जहां पर वह पीड़ित को यह बतलाता है की उसके उसके नाम पर या उसके आधार कार्ड, सिम कार्ड इत्यादि मनी लॉनड्रिन्ग जैसे गैर कानूनी कार्य हो रहे है जिसके लिए उन्हे पीड़ित को अरेस्ट करने के आदेश मिले है और जल्द ही पुलिस, सीबीआई, इनकम टैक्स या अन्य law Enforcement अधिकारी उसके घर पर पहुंचकर अरेस्ट करने वाली है।

Step 3. पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट का झांसा देना

जिसके बाद साइबर अपराधी डिजिटल अरेस्ट या जांच का झांसा पीड़ित को देते है की आपको हमने डिजिटल रूप से अरेस्ट कर लिया है या आपके केस को डिजिटल रख सकते है और आपको हमारी डिजिटली जांच मे मदद करनी होगी अन्यथा पुलिस आपको भौतिक रूप से अरेस्ट कर लेगी, जिसके बाद पीड़ित डरकर इनके झांसे मे फंस जाते है।

Step 4. डिजिटल रूप से फेक कार्यवाही करना

उसके बाद पीड़ित के ऊपर वीडियोकॉल और अन्य डिजिटल तरीकों से फेक डिजिटल कार्यवाही शुरू करते है और जिसमे की फेक पुलिस या अन्य law Enforcement अधिकारी फेक आइडी और वर्दी पहने हुए आते है जिसमे वे अलग अलग तरीकों से पीड़ित को यह बतलाते है कीस तरह उनके नाम से अवैध कार्य हुए है, साथ मे पीड़ित को डराते है और धमकाते है।

Step 5. पीड़ित के साथ समझौता

इतना सब होने के बाद साइबर अपराधी जो की फेक पुलिस या अन्य law Enforcement अधिकारी बना हुआ है वह जुर्माना या समझौते के तौर पर पैसों की मांग करता है पीड़ित को इतना डरा देते है वे न चाहकर भी पैसे देने पर मजबूर हो जाते है जिसके बाद जैसे ही साइबर अपराधी को पैसे मिल जाता है उसके बाद केस को बंद करने का दावा करते है और पीड़ित से समस्त संपर्क हटा देते है।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचे?

डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर अटैक इस तरह से किए जाते है या फिर ऐसे वक्त पर साइबर अपराधियों द्वारा किए जाते है जिनके झांसे मे आ जाते है लेकिन ये बिल्कुल फेक होते है अगर आप डिजिटल अरेस्ट साइबर अरेस्ट से बचना चाहते है या फिर सुरक्षित रहना चाहते है तब निम्नलिखित बातों का ध्यान रखे और अपनाए –

1. सबसे पहले समझे डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज होती ही नहीं है

डिजिटल अरेस्ट जैसी किसी भी तरह की कोई चीज भारत मे कानून रूप से मौजूद ही नहीं है इसे सर्वप्रथम अपने दिमाग मे बैठा लीजिए, अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह का FIR या कोई केस होगा तब पुलिस या अन्य कोई Law enforcement अधिकारी सीधे उस व्यक्ति के पास पहुचेगा न की उसे कॉल करेगा किसी तरीके से ऑनलाइन संपर्क करेगा।

इसी तरह से अगर कोई ऑनलाइन या फिर कॉल के जरिए आपके खिलाफ या फिर किसी व्यक्ति के खिलाफ डिजिटल अरेस्ट का दावा कर रहा है तब वह पूर्णतः ही फ्रॉड है और वह व्यक्ति को अपने साइबर अपराध के झांसे मे फँसाने का कोशिश कर रहा है।

2. साइबर अपराधी की मानसिकता समझे

डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए हमें साइबर अपराधी जो की डिजिटल अरेस्ट के नाम पर आपके साथ फ्रॉड करने की कोशिश कर रहा है उसके मानसिकता को हमें समझना होगा, जिससे हम उनके मकसद को समझ पाएंगे। साइबर अपराधी हमेशा पीड़ित को डराने और धमकाने की कोशिश करता है और मानसिक रूप से दबाव बनाता है।

साइबर अपराधी पीड़ित के डर और कमजोरी का फायदा उठाता है इसके अलावा वे पीड़ित को लालच भी देते है जो की किसी भी तरह का सरकारी Law enforcement अधिकारी किसी व्यक्ति के साथ डिजिटल रूप से कभी भी नहीं करता है और यह सब करने का केवल उनका एक ही मकसद रहता है पैसे लूटना। साइबर अपराधी किसी न किसी तरीके से पीड़ित से पैसे की मांग करते है।

3. पैसों से जुड़ी लेन देन

पुलिस, आरबीआई, इनकम टैक्स या किसी भी तरीके का कोई Law enforcement अधिकारी कभी भी किसी तरह का कोई पैसा ऑनलाइन न ही माँगता है और न ही देता है भले ही कोई कितना भी दावा करे लेकिन इस बात को हमेशा ही गांठ बांध ले। अगर कोई व्यक्ति खुद को Law enforcement अधिकारी बताकर ऑनलाइन पैसे मांग रहा है ये देने का दावा कर रहा है।

तब इसमे कोई शक नहीं की वह फ्रॉड है और वह व्यक्ति को बेवकूफ बनाकर उसके मेहनत के कमाए हुए पैसों को ठगने की कोशिश कर रहा है।

4. थर्ड पार्टी वेबसाइट और ऐप्स का इस्तेमाल न करे

थर्ड पार्टी ऐप्स और थर्ड पार्टी वेबसाइट्स बिल्कुल भी भरोसेमंद और सुरक्षित नहीं होते है एक तरह से इनका कोई अपनी पहचान नहीं होती है जिसका उपयोग किसी भी उपयोगकर्ता को नहीं करनी चाहिये क्योंकि ये ऐप्स आपके डेटा को भी चुरा सकते है और अनुमति लेकर आपके फोन को भी हैक कर सकते है।

कई बार साइबर अपराधियों के पास आपसे जुड़े इनफार्मेशन जैसे मोबाइल नंबर, ईमेल या आपसे जुड़ी जानकारीयो को यही थर्ड पार्टी वेबसाइट और ऐप्स के मालिक बेचते है जिससे साइबर अपराधियों को आपके बारे मे समस्त जरूरी जानकारी मिल जाती है फिर आपकी मानसिकता को समझकर आपसे डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर अटैक के जरिए पैसे लूटने की कोशिश करते है।

5. साइबर सेल मे रिपोर्ट करे

कभी भी अगर आपके साथ डिजिटल अरेस्ट के ऑनलाइन मैसेज या कॉल आता है या फिर कोई डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डरा धमका रहा है तब आप इसके बारे मे तुरंत ही पुलिस के साइबर सेल शिकायत करे और कोई व्यक्ति इसके झांसे मे आ चुका है तब भी जाकर इसका सूचना साइबर सेल को दे वह पीड़ित के पैसों को और साइबर अपराधी को पकड़ने की पूरी कोशिश करेगी।

इसके अलावा अगर आप तुरंत ही इस बारे मे शिकायत घर बैठे करना चाहते है तब साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर सकते है इस पर कॉल करके आप अपनी समस्या बता सकते है।

6. साइबर अपराधों से हमेशा अपडेटेड रहे

डिजिटल अरेस्ट वर्तमान समय मे साइबर अपराधियों के लिए पीड़ितों को लूटने के लिए बिल्कुल नई तकनिक है इसी तरह समय के साथ साइबर अपराधी अलग अलग तरह के साइबर अटैक करते रहते है और अलग अलग तकनीकों का इस्तेमाल करके साइबर क्राइम को अंजाम देने की कोशिश करते है इनसे बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा साइबर अपराध के अलग अलग तकनीकों जानकारी रखे।

ताकि सबसे पहले आप खुद को इससे बचा पाएंगे और अन्य लोगों को इसकी जानकारी देकर दूसरों को भी अवगत करा पाएंगे।

निष्कर्ष

किसी अपराधी को डिजिटल रूप से या फिर ऑनलाइन गिरफ्तार करना, या फिर डिजिटल अपराधों के लिए किए गए कीया गया गिरफ्तार, यह डिजिटल अरेस्ट का शाब्दिक अर्थ हो सकता है लेकिन कानून रूप से डिजिटल अरेस्ट जैसी को चीज नहीं है बल्कि हैकरस या साइबर अपराधियों के लिए डिजिटल अरेस्ट एक तरह का साइबर अटैक है जैसे जरिए वे लोगों से उनके पैसे लूटने की कोशिश करते है।

उम्मीद है की डिजिटल अरेस्ट क्या होता है (What is digital Arrest in Hindi) से जुड़ी समस्त जानकारी आप सभी पाठको ने इस लेख के जरिए प्राप्त कर लिया होगा

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