कंपनी क्या है, इसके प्रकार – What is Company in Hindi

कंपनी एक ऐसा शब्द है जिसे हम अक्सर अपने जीवन मे सुनते आ रहे है और आज भी यह शब्द सुनते रहते है लेकिन आज के समय मे भी ऐसे अनगिनत लोग है जिन्हे की कंपनी क्या है? इस विषय मे बिल्कुल भी जानकारी नहीं है ऐसे मे उनके मन मे कंपनी से जुड़े सवाल चलते रहते है उन सभी को इस लेख के जरिए कंपनी से जुड़ी समस्त जानकारी विस्तृत रूप से मिलने वाली है।

काफी सारे लोग कंपनी की परिभाषा किसी व्यवसाय से जोड़ देते है इस वजह से लोगों को लगता है की कंपनी का मतलब कोई व्यवसाय है लेकिन ऐसा नहीं है फिर भी कंपनी की परिभाषा इसी से जुड़ा हुआ है, लगभग अधिकतर कंपनी व्यवसाय करने के लिए ही बनाए जाते है जिससे कई सारे लोगों को रोजगार मिलता है और जैसे जैसे कंपनी बढ़ी होती जाती वैसे ही यह देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने मे भी अपना काफी योगदान देने लगती है।

लोगों की समस्याओ का समाधान करने हेतु, लाभ कमाने हेतु या किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने हेतु कंपनी का निर्माण क्या जाता है आपने यूनिकॉर्न कंपनी का नाम तो सुना ही होगा जो की एक तरह से कंपनी का ही एक उच्च रूप है किसी कंपनी को यह उपाधि काफी सारी उपलब्धियों को हासिल करने के बाद मिलती है, हम सभी के जीवन मे कंपनी का एक अहम भूमिका है।

जिसके बारे मे अक्सर आम लोगों को पता ही नहीं होता है, जिस वजह से ही हम सभी के लिए कंपनी के बारे मे जानना आवश्यक है तो चलिए फिर कंपनी क्या होता है, कंपनी कितने प्रकार के होते है, कंपनी की परिभाषा, कंपनी की विशेषताएं, कंपनी के लाभ एवं इससे जुड़ी समस्त जानकारीयो को जानना शुरू करते है।

कंपनी क्या है – What is Company in Hindi

कंपनी एक या एक से अधिक लोगों का समूह है जिसे की किसी समस्या को सुलझाने, कुछ निर्माण करने हेतु, लाभ कमाने हेतु या फिर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति करने हेतु बनाया जाता है जिसे हम शाब्दिक तौर पर टोली, समिति, संगठन या संस्था भी कह सकते है। किसी भी कंपनी की शुरुआत करने हेतु पहले कंपनी के संस्थापकों को अपना पूंजी निवेश करने की आवश्यकता पड़ती है इसका पंजीकरण एक कृत्रिम (बनाई गई) व्यक्ति के रूप मे कंपनी अधिनियम के तहत होता है।

हर एक कंपनी अलग होती है उनके उद्देश्य अलग होते है कुछ कंपनीया गैर लाभकारी होती है जो की जनकल्याण के लिए स्थापित की जाती लेकिन अधिकतर कंपनीया किसी खास उद्देश्य से लाभ कमाने हेतु स्थापित किया जाता है कंपनी की स्थापना करने वाले व्यक्ति को Founder या फिर संस्थापक कहा जाता है जो की कंपनी के असल मालिक होते है किसी भी कंपनी को शुरू करने के लिए सरकारी अनुमति की भी आवश्यकता पड़ती है।

कंपनी कई सारे Individual’s से मिलकर बना हो सकता है जो की कंपनी के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु साथ मे मिलकर कर कार्य करते है वहीं पर आपकी जानकारी के लिए बता दे की कानून कंपनी को एक Individual मानती है गूगल, टीसीएस, माइक्रोसॉफ्ट, रिलायंस आदि एक कंपनी के उदाहरण है।

कंपनी की परिभाषा (Definition)

कंपनी अर्थात Company शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द Companies से हुई है जो की शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसमे से पहला शब्द Com है जिसका मतलब साथ साथ होता है वहीं पर Panies शब्द का मतलब रोटी से है, बताया जाता है की शुरुआती समय मे कंपनी से आशय ऐसे व्यक्ति के समूहों से था अपना खाना साथ साथ मे खाते थे।

वही हम इसके परिभाषा की बात करे तो लाभ कमाने या किसी अन्य उद्देश्य से बनाई गई एक एच्छिक संस्था, समूह या समिति कंपनी कहलाती है इसमे एक से अधिक व्यक्ति हो सकते है जो की कंपनी को लाभ कमाने के उद्देश्य या किसी खास उद्देश्य से एक साथ कार्य करते है।

यूनिकॉर्न कंपनी क्या है?

यूनिकॉर्न कंपनी एक तरह की कंपनी ही है जो की सामान्य कंपनी उच्च स्तर की कंपनी कह सकते है कोई भी कंपनी यूनिकॉर्न तब बनती है जब उस कंपनी की Valuation 1 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाती है दरअसल यूनिकॉर्न शब्द किसी कंपनी का वर्णन करने हेतु इस्तेमाल अक्सर वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री मे किया जाता है।

कंपनी कितने प्रकार के होते है (Types)

कंपनी भी कई प्रकार के होते है वही कंपनी अधिनियम 2013 के आधार पर कंपनीयो के प्रकार निम्नलिखित है

1. एक व्यक्ति कंपनी

एक व्यक्ति कंपनी ऐसी कंपनीयो को कहा जाता है जिसमे की सदस्य के रूप मे केवल एक व्यक्ति होता है इस तरह की कंपनी को कंपनी अधिनियम 2013 के तहत वैधानिक मान्यता दी गई इसी के आधार पर ही एक अकेला व्यक्ति कंपनी प्रबंधन कर सकता है। यहाँ पर अगर कंपनी हो जाती है तब संस्थापक या स्वामी इसे कंपनी के दूसरे प्रकारों मे बदल सकता है।

2. अनिगमीत कंपनी

अनिगमीत कंपनी को अंग्रेजी मे Unincorporated Company कहा जाता है जिसका की गठन या स्थापना भागीदारी फार्म की तरह Contract द्वारा किया जाता है इस तरह की कंपनीयो के सदस्यों से अलग किसी तरह का कोई अधिक व्यक्तित्व नहीं होता है बल्कि यहाँ पर प्रत्येक सदस्य का असीमित दायित्व होता है।

3. निगमित कंपनी

निगमित कंपनी जिसे अंग्रेजी मे Incorporated Company कहा जाता है यह तीन प्रकार की होती है जो कुछ इस प्रकार है

1. जो निगमित कंपनी अर्थात Incorporated Company, रॉयल चार्टर के द्वारा निगमित की जाती है ऐसी कंपनी को चार्टर्ड कंपनी के नाम से भी जाना जाता है इस तरह की कंपनी का एक काफी अच्छा उदाहरण ईस्ट इंडिया कंपनी है।

2. जो निगमित कंपनी संसद के अधिनियमों के तहत अस्तित्व मे आती है जिस तरह कंपनी को अक्सर पब्लिक कंपनी के नाम से जाना जाता है रिसर्व बैंक ऑफ इंडिया इसका काफी अच्छा उदाहरण है।

3. जो निगमित कंपनी कंपनी अधिनियम के तहत स्थापित होती है ऐसी कंपनीया रजिस्ट्रीकृत या पंजीकृत कंपनीया कहलाती है ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह की कंपनीया कंपनी अधिनियम के तहत रजिस्ट्रीकरण या पंजीकरण से निगमित किए जाते है।

4. असीमित कंपनी

असीमित कंपनी जिसे अंग्रेजी मे Unlimited Company कहा जाता है, इसमे सदस्यों का दायित्व किसी तरह से सीमित नहीं रखा गया होता है यहाँ पर असीमित कंपनी से ऐसे कंपनी से तात्पर्य है जिसमे मौजूद सदस्यों के दायित्व की किसी तरह की कोई सीमा नहीं है अर्थात असीमित है यहाँ पर Share capital अर्थात अंश पूंजी रखना जरूरी नहीं होता है और अगर Share capital रखा दिया जाता है तब उसे बिना किसी के अनुमति या रोक टोंक के घटाया और बढ़ाया जा सकता है।

5. सीमित कंपनी

सीमित कंपनी जिसे अंग्रेजी मे Limited Company कहा जाता है यह एक ऐसी कंपनी होती है जिसमे की मौजूद सदस्यों का दायित्व पूर्ण रूप से सीमित होता है। इसके तहत अंशों से सीमित कंपनी एवं गारंटी के तहत सीमित कंपनी भी आ जाती है यहाँ पर सीमित कंपनी गारंटी से इस तरह की कंपनीयो से तात्पर्य है जिसमे मौजूद समस्त सदस्यों का जिम्मेदारी ज्ञापन से इस तरह की धनराशि तक सीमित है जिसे सदस्य उसके समापन की परिस्थिति मे भी कंपनी के अस्तित्वो मे योगदान करने का वचन दे सके।

इस तरह की कंपनीया अगर अंशों द्वारा सीमित होती है तब वह अंश सीमित कंपनी कहलाता है वहीं पर अगर वे जब गारंटी द्वारा सीमित होती है तब वह गारंटी द्वारा सीमित कंपनी कहलाती है।

6. सार्वजनिक कंपनी

सार्वजनिक कंपनी जिसे अंग्रेजी मे Publish company कहते है यह ऐसी कंपनी है जो किसी भी तरह से प्राइवेट कंपनी नहीं होती है यहाँ पर कंपनी अधिनियम 2015 (संसोधन) के तहत सार्वजनिक कंपनीयो के लिए प्रस्तावित पूंजी न्यूनतम 5 लाख होना आवश्यक है इस तरह के कंपनी के स्थापना या निर्माण मे सदस्यों की न्यूनतम संख्या 7 अवश्य होनी चाहिये।

7. सरकारी या शासकीय कंपनी

सरकारी कंपनी जी शासकीय कंपनी और अंग्रेजी मे Government Company भी कहा जाता है यहाँ पर तात्पर्य ऐसे कंपनी से है जिसमे की समादत्त पूंजी का न्यूनतम 51 प्रतिशत केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या फिर कई अंशों मे एक से अधिक राज्यों सरकारों के जरिए धारित किया जाता है इसके तहत ऐसी भी कंपनीया भी आती है जो की इसी तरह की सरकारी कंपनीयो की सहायक कंपनी है।

8. निजी कंपनी

निजी कंपनी जिसे अंग्रेजी मे Private Company कहा जाता है जिसकी प्रस्तावित पूंजी न्यूनतम 1 लाख होना आवश्यक है जिसका की निर्माण या स्थापना दो व्यक्ति भी मिलकर कर सकते है इस तरह की कंपनी अपने अंशों का अंतरण अन्तर्नियमों का विस्तार से उल्लेख करने के बाद करने मे सक्षम होती है।

कंपनी की विशेषताएं (Characteristics)

हर एक तरह की कंपनी की अलग विशेषताएं होती है जो की निम्नलिखित है –

  1. एक कंपनी निगमित होने के बाद उसे पूरी तरह व्यक्तित्व प्राप्त हो जाता है यहाँ पर कंपनी का अस्तित्व उसके सदस्यों से काफी अलग होता है यहाँ पर कंपनी के बनावटी व्यक्ति होता है।
  2. कंपनी का अस्तित्व एक तरह से स्थायी होता है अगर कंपनी मे कार्यरत उसके सारे सदस्य बदल भी जाते है तब भी कंपनी का अस्तित्व जैसे का तैसा ही रहता है।
  3. कंपनी मे अक्सर होने वाली हानियों मे शेयर होल्डर का सिर्फ उतना जिम्मेदारी जितना की उसके शेयर का भुगतान होता है।
  4. एक कंपनी को कंपनी के अस्तित्व हेतु कंपनी अधिनियम 2013 के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है।
  5. कंपनी खुद से हस्ताक्षर करने मे सक्षम नहीं होती है ऐसे मे इसके लिए एक Seal अर्थात मुहर की आवश्यकता पड़ती है।
  6. कंपनी अधिनियम 2013 के तहत एक सार्वजनिक कंपनी को शुरू करने के न्यूनतम सदस्य संख्या 7 है वहीं पर अधिकतम असीमित है और प्राइवेट कंपनी को शुरू करने के लिए न्यूनतम सदस्य संख्या 2 है और अधिकतम सदस्य संख्या 200 है।
  7. कंपनी एक कृत्रिम व्यक्ति होता है लेकिन यह एक नागरिक नहीं।

कंपनी के लाभ (Advantages)

कंपनी के कई सारे Advantages होते है जैसे –

  1. अक्सर एक कंपनी लाभ कमाने के उद्देश्य से शुरू की जाती है।
  2. कंपनी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था सुधरती है जिस देश मे जितनी अधिक और मूल्यवान कंपनीया होगी उस देश का अर्थव्यवस्था भी उतना ही आगे होगा।
  3. कंपनी के समस्त सदस्यों मे किसी तरह का बदलाव या फिर उनका स्वर्गवास हो जाने पर भी कंपनी और कंपनी के आस्तीत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
  4. कंपनी की सदस्यता बड़ी होती है ऐसे मे कंपनी मे आने वाले जोखिम भी सदस्यों मे बट जाते है किसी एक पर दबाव नहीं बनता है।

निष्कर्ष

कंपनी एक समूह या संस्था है जिसमे से हर एक नागरिक को कंपनी शुरू करने का अधिकार होता है लेकिन किसी भी कंपनी का सबसे महत्वपूर्ण चीजों मे से आवश्यक है की वह कंपनी अधिनियम 2013 द्वारा पंजीकृत हो अन्यथा कंपनी को कंपनी का अस्तित्व नहीं दिया जा सकता है आशा है की कंपनी क्या है (What is Company in Hindi) इसके बारे मे आपको सरलता से समझ आ चुका होगा।

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